अप्रतिम कविताएँ
एक विश्वास
तूलिका से बिखरते हुये
भयावह,
किन्तु
सौन्दर्य लिये सत्य का
मानव की
रक्त की
पिपासा के प्रतीक
ये रंग
कितने निरीह,
कितने चुप,
किन्तु कितने वाचाल।
कब आयेगा
सपनो का सावन
जो आस्था के रंगो को
धो कर निखार दे।
कदाचित कभी नहीं।

किन्तु फिर भी
विश्वास है,
एक दिन
किसी
मानवी की आँखों से
बहेगी
ममता की धारा,
उसमें बह जायेंगे
गुनाहों के दाग़।
उस दिन
संगीत के स्वरों में,
गीतों के बोलों मे,
मुखरित होगा
जीवन का संदेश
और तूलिका से
सृजित होगा
नूतन, नवल, इन्द्रधनुष।
- विनोद तिवारी
काव्य संकलन समर्पित सत्य समर्पित स्वप्न
विषय:
आशा विश्वास (18)
युद्द तकरार (5)
अत्याचार आतंक (5)

काव्यालय को प्राप्त: 5 Feb 2018. काव्यालय पर प्रकाशित: 20 Apr 2018

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'एक आशीर्वाद'
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जा तेरे स्वप्न बड़े हों।
भावना की गोद से उतर कर
जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।
चाँद तारों सी अप्राप्य ऊँचाइयों के लिये
रूठना मचलना सीखें।
हँसें
मुस्कुराऐं
..

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इस महीने :
'तोंद'
प्रदीप शुक्ला


कहते हैं सब लोग तोंद एक रोग बड़ा है
तोंद घटाएँ सभी चलन यह खूब चला है।
पर मानो यदि बात तोंद क्यों करनी कम है
सुख शान्ति सम्मान दायिनी तोंद में दम है।

औरों की क्या कहूं, मैं अपनी बात बताता
बचपन से ही रहा तोंद से सुखमय नाता।
जिससे भी की बात, अदब आँखों में पाया
नाम न लें गुरु, यार, मैं पंडित 'जी' कहलाया।

आज भी ऑफिस तक में तोंद से मान है मिलता
कितना भी हो बॉस शीर्ष, शुक्ला 'जी' कहता।
मान का यह
..

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भाग 5 गीतों की ओर

वाणी मुरारका
इस महीने :
'सीमा में संभावनाएँ'
चिराग जैन


आदेशों का दास नहीं है शाखा का आकार कभी,
गमले तक सीमित मत करना पौधे का संसार कभी।

जड़ के पाँव नहीं पसरे तो छाँव कहाँ से पाओगे?
जिस पर पंछी घर कर लें वो ठाँव कहाँ से लाओगे?
बालकनी में बंध पाया क्या, बरगद का ..

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