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नृत्य
धूसर रेत के
टीले पर
चाँदनी
आई उतर
साठ कली का
घाघरा
अँगिया
एक कली भर
पीले, लाल
सुर्ख रंगों से
रंगी थी
उसकी चूनर
वाणी सुरीली
कमर लचीली
पाँव उठे जो इस गोरी के
कैसे झूमी रेत नचीली।
-
दिव्या माथुर
Divya Mathur
email:
divyamathur at aol dot com
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शान्ति मेहरोत्रा
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जगाओ मत।
दूध-मुँहे बालक-सा
दिन भर झुंझलायेगा
मचलेगा, अलसायेगा
रो कर, चिल्ला कर,
घर सिर पर उठायेगा।
आदत बुरी है यह
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
इस महीने :
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इन्दिरा किसलय
आए दिन
जलते हुए, अलावों के !!
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मखमली अंधेरा
थमा हुआ शोर
हर ओर
जी उठे दृश्य
मनोरम गांवों के !!
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
इस महीने :
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ब्रज श्रीवास्तव
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बिल्कुल, बिल्कुल करीब हो जाता हूँ
अपने ही
तब भी
..
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अप्रैल 2023 – मार्च 2024
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