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हाइकु
मुठ्ठी में कैद
धूप फिसल गयी
लड़की हँसी
-
अनूप भार्गव
विषय:
स्त्री (18)
काव्यालय को प्राप्त: 21 Sep 2019. काव्यालय पर प्रकाशित: 8 Oct 2021
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..
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जिंदगी आज फिर से मुस्कराती है।
धमाका फिर गूंजता है
पर बमों और बंदूकों का नहीं
पटाखों के साथ-साथ
गूंजती है किलकारियाँ भी।
सहमे से मुरझाए होठों पर
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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