अप्रतिम कविताएँ
लेन-देन
लेन-देन का हिसाब
          लंबा और पुराना है।

जिनका कर्ज हमने खाया था,
          उनका बाकी हम चुकाने आये हैं।
और जिन्होंने हमारा कर्ज खाया था,
          उनसे हम अपना हक पाने आये हैं।

लेन-देन का व्यापार अभी लंबा चलेगा।
          जीवन अभी कई बार पैदा होगा
                    और कई बार जलेगा।

और लेन-देन का सारा व्यापार
                जब चुक जायेगा,
          ईश्वर हमसे खुद कहेगा -

          तुम्हार एक पावना मुझ पर भी है,
          आओ, उसे ग्रहण करो।
          अपना रूप छोड़ो,
          मेरा स्वरूप वरण करो।
- रामधारी सिंह 'दिनकर'
Ref: Hare Ko Harinaam
Pub: Udayachal, Rajendra Nagar, Patna-16

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अनुवाद ~ प्रियदर्शन

नेक बने मनुष्य
उदार और भला;
क्योंकि यही एक चीज़ है
जो उसे अलग करती है
उन सभी जीवित प्राणियों से
जिन्हें हम जानते हैं।

स्वागत है अपनी...

..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
होलोकॉस्ट में एक कविता
~ प्रियदर्शन

लेकिन इस कंकाल सी लड़की के भीतर एक कविता बची हुई थी-- मनुष्य के विवेक पर आस्था रखने वाली एक कविता। वह देख रही थी कि अमेरिकी सैनिक वहाँ पहुँच रहे हैं। इनमें सबसे आगे कर्ट क्लाइन था। उसने उससे पूछा कि वह जर्मन या अंग्रेजी कुछ बोल सकती है? गर्डा बताती है कि वह 'ज्यू' है। कर्ट क्लाइन बताता है कि वह भी 'ज्यू' है। लेकिन उसे सबसे ज़्यादा यह बात हैरानी में डालती है कि इसके बाद गर्डा जर्मन कवि गेटे (Goethe) की कविता 'डिवाइन' की एक पंक्ति बोलती है...

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राष्ट्र वसन्त
रामदयाल पाण्डेय

पिकी पुकारती रही, पुकारते धरा-गगन;
मगर कहीं रुके नहीं वसन्त के चपल चरण।

असंख्य काँपते नयन लिये विपिन हुआ विकल;
असंख्य बाहु हैं विकल, कि प्राण हैं रहे मचल;
असंख्य कंठ खोलकर 'कुहू कुहू' पुकारती;
वियोगिनी वसन्त की...

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