अप्रतिम कविताएँ

वो चुप्पी
ख़ामोश थी नहीं
इस शोर में
सन्नाटे की
चीखती सी आवाज़ थी
देखो,
तो तेज़ नज़रों से छन्न करती
छूओ,
तो सिमटती
और उँगलियों को झुलस देती
उजड़ी कहानियाँ कहती
बरबादियों की दास्तान सुनाती
दुत्कारती
जीवन से जूझती भिड़ती
कई सवाल उठाती
और खुद जवाब होती
वो चुप्पी

"अफ़ग़ान गर्ल"
फोटोजर्नलिस्ट स्टीव मक्करी द्वारा ली गई यह प्रसिद्ध तस्वीर अफ़घानिस्तान की एक शरणार्थी बच्ची की है| उन्होंने यह तस्वीर एक रिफ्यूजी कैंप में ली थी जो नैशनल जियोग्राफिक के जुलाई १९८५ अंक में प्रकाशित की गई थी|
प्रिया नागराज नें यह कविता इस तस्वीर से प्रेरित होकर लिखी है|
इस तस्वीर के विषय में और जानने के लिए यहाँ क्लिक करें|
- प्रिया एन. अइयर
Priya Nagaraj: Email [email protected]

काव्यालय पर प्रकाशित: 20 May 2016

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'अमरत्व'
क्लेर हार्नर


कब्र पे मेरी बहा ना आँसू
हूँ वहाँ नहीं मैं, सोई ना हूँ।

झोंके हजारों हवाओं की मैं
चमक हीरों-सी हिमकणों की मैं
शरद की गिरती फुहारों में हूँ
फसलों पर पड़ती...
..

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