गीत कोई कसमसाता
नील नभ के पार कोई
मंद स्वर में गुनगुनाता,
रूह की गहराइयों में
गीत कोई कसमसाता!
निर्झरों सा कब बहेगा
संग ख़ुशबू के उड़ेगा,
जंगलों का मौन नीरव
बारिशों की धुन भरेगा!
करवटें ले शब्द जागे
आहटें सुन निकल भागे,
हार आखर का बना जो
बुने किसने राग तागे!
गूँजता है हर दिशा में
भोर निर्मल शुभ निशा में,
टेर देती धेनुओं में
झूमती पछुआ हवा में!
लौटते घर हंस गाते
धार दरिया के सुनाते,
पवन की सरगोशियाँ सुन
पात पादप सरसराते!
गीत है अमरावती का
घाघरा औ' ताप्ती का,
कंठ कोकिल में छुपा है
प्रीत की इक रागिनी का!
आखर - अक्षर; पछुआ - पश्चिम दिशा से आती पवन; पात - पत्ते; पादप - पौधे; अमरावती - देवभूमि; घाघरा और ताप्ती - दो नदियों के नाम
काव्यालय को प्राप्त: 26 Jun 2019.
काव्यालय पर प्रकाशित: 19 Jul 2019
तोड़ दो सीमा क्षितिज की,
गगन का विस्तार ले लोविनोद तिवारी की कविता
"प्यार का उपहार" का वीडियो। उपहार उनका और वीडियो द्वारा उपहार का सम्प्रेषण भी वह ही कर रहे हैं। सरल श्रृंगार रस और अभिसार में भीगा, फिर भी प्यार का उपहार ऐसा जो व्यापक होने को प्रेरित करे।
प्यार का उपहार