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अस्तित्व
मैनें कई बार
कोशिश की है
तुम से दूर जानें की,
लेकिन
मीलों चलनें के बाद
जब मुड़ कर देखता हूँ
तो तुम्हें
उतना ही करीब पाता
हूँ |
तुम्हारे इर्द
गिर्द
वृत्त की
परिधि बन कर रह गया
हूँ मैं ।
-
अनूप भार्गव
Anoop Bhargava
email:
[email protected]
Anoop Bhargava
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पुल बारिश का!
बिना ओढ़नी हवा घूमती
सबने देखा
पुल बारिश का!
मेघों से धरती तक
धानखेती सीढ़ियाँ,
मिट्टी में उग रहीं
नई हरी पीढ़ियाँ,
उड़ती हुई नदी पर
बनती मिटती नौका,
पुल बारिश का!
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
डूब कर देखो ये है गंगा गणित विज्ञान की।
ये परम आनंद है वाणी स्वयं भगवान की।
~
विनोद तिवारी
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