अप्रतिम कविताएँ
विजय ('उत्तरा' से)
मैं चिर श्रद्धा लेकर आई
वह साध बनी प्रिय परिचय में,
मैं भक्ति हृदय में भर लाई,
वह प्रीति बनी उर परिणय में।

      जिज्ञासा से था आकुल मन
      वह मिटी, हुई कब तन्मय मैं,
      विश्वास माँगती थी प्रतिक्षण
      आधार पा गई निश्चय मैं !

           प्राणों की तृष्णा हुई लीन
           स्वप्नों के गोपन संचय में
           संशय भय मोह विषाद हीन
           लज्जा करुणा में निर्भय मैं !

                 लज्जा जाने कब बनी मान,
                 अधिकार मिला कब अनुनय में
                 पूजन आराधन बने गान
                 कैसे, कब? करती विस्मय मैं !

उर करुणा के हित था कातर
सम्मान पा गई अक्षय मैं,
पापों अभिशापों की थी घर
वरदान बनी मंगलमय मैं !

           बाधा-विरोध अनुकूल बने
           अंतर्चेतन अरुणोदय में,
           पथ भूल विहँस मृदु फूल बने
           मैं विजयी प्रिय, तेरी जय में।
- सुमित्रानंदन पंत

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सौन्दर्य और सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
सुमित्रानंदन पंत
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ

 अमर स्पर्श
 प्रथम रश्मि
 विजय ('उत्तरा' से)
इस महीने :
'कमरे में धूप'
कुंवर नारायण


हवा और दरवाज़ों में बहस होती रही,
दीवारें सुनती रहीं।
धूप चुपचाप एक कुरसी पर बैठी
किरणों के ऊन का स्वेटर बुनती रही।

सहसा किसी बात पर बिगड़ कर
हवा ने दरवाज़े को तड़ से
एक थप्पड़ जड़ दिया !

खिड़कियाँ गरज उठीं,
अख़बार उठ कर
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'खिड़की और किरण'
नूपुर अशोक


हर रोज़ की तरह
रोशनी की किरण
आज भी भागती हुई आई
उस कमरे में फुदकने के लिए
मेज़ के टुकड़े करने के लिए
पलंग पर सो रहने के लिए

भागती हुई उस किरण ने
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'किरण'
सियाराम शरण गुप्त


ज्ञात नहीं जानें किस द्वार से
कौन से प्रकार से,
मेरे गृहकक्ष में,
दुस्तर-तिमिरदुर्ग-दुर्गम-विपक्ष में-
उज्ज्वल प्रभामयी
एकाएक कोमल किरण एक आ गयी।
बीच से अँधेरे के
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'रोशनी'
मधुप मोहता


रात, हर रात बहुत देर गए,
तेरी खिड़की से, रोशनी छनकर,
मेरे कमरे के दरो-दीवारों पर,
जैसे दस्तक सी दिया करती है।

मैं खोल देता हूँ ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website