अप्रतिम कविताएँ
एक शब्द की कविता
एक शब्द की कविता
तुम।

एक शब्द में पृथ्वी सारी
तुम।
एक शब्द में सृष्टि सारी
तुम।

क्या रिश्ता होगा जब तुम ही हो
यह वाणी तेरी
- तुम
विषय:
भक्ति और प्रार्थना (31)

काव्यालय को प्राप्त: 10 Jun 2017. काव्यालय पर प्रकाशित: 27 Sep 2019

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'सबसे ताक़तवर'
आशीष क़ुरैशी ‘माहिद’


जब आप कुछ नहीं कर सकते
तो कर सकते हैं वो
जो सबसे ताक़तवर है

तूफ़ान का धागा
दरिया का तिनका
दूर पहाड़ पर जलता दिया

..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'हादसे के बाद की दीपावली'
गीता दूबे


रौशनी से नहाए इस शहर में
खुशियों की लड़ियाँ जगमगाती हैं
चीर कर गमों के अँधेरे को
जिंदगी आज फिर से मुस्कराती है।

धमाका फिर गूंजता है
पर बमों और बंदूकों का नहीं
पटाखों के साथ-साथ
गूंजती है किलकारियाँ भी।
सहमे से मुरझाए होठों पर
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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