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एक शब्द की कविता
एक शब्द की कविता
तुम।
एक शब्द में पृथ्वी सारी
तुम।
एक शब्द में सृष्टि सारी
तुम।
क्या रिश्ता होगा जब तुम ही हो
यह वाणी तेरी
- तुम
काव्यालय को प्राप्त: 10 Jun 2017. काव्यालय पर प्रकाशित: 27 Sep 2019
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'अन्त'
दिव्या ओंकारी ’गरिमा’
झर-झर बहते नेत्रों से,
कौन सा सत्य बहा होगा?
वो सत्य बना आखिर पानी,
जो कहीं नहीं कहा होगा।
झलकती सी बेचैनी को,
कितना धिक्कार मिला होगा?
बाद में सोचे है इंसान,
पहले अंधा-बहरा होगा।
तलाश करे या आस करे,
किस पर विश्वास ज़रा होगा?
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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