अप्रतिम कविताएँ
चाय 2

आओ बैठें साथ-साथ
और चाय पियें,
बस इतना ध्यान रखना
कप ऊपर तक मत भर देना,
कप में थोड़ी-सी चाय रहे
थोड़ी जगह खाली रहे
खाली जगह थोड़ी –सी मेरी
खाली जगह थोड़ी तुम्हारी
ताकि तुम तुम रह सको,
मैं मैं रह सकूँ,
थोड़ी-सी चाहत बाकी रहे
एक और कप चाय की
और तुम्हारे साथ की!
- नूपुर अशोक

काव्यालय को प्राप्त: 2 Feb 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 18 Feb 2022

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सौन्दर्य और सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
नूपुर अशोक
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ

 गेंद और सूरज
 चाय 1
 चाय 2
 चाय 3
 चाय 4
 चाय 5
 चाय 6
 चाय 7
इस महीने :
'अमरत्व'
क्लेर हार्नर


कब्र पे मेरी बहा ना आँसू
हूँ वहाँ नहीं मैं, सोई ना हूँ।

झोंके हजारों हवाओं की मैं
चमक हीरों-सी हिमकणों की मैं
शरद की गिरती फुहारों में हूँ
फसलों पर पड़ती...
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website