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बूँदें
बरसती हैं बूँदें
झूमते हैं पत्ते
पत्ता-पत्ता जी रहा है
पल पल को
आने वाले कल से बेख़बर
-
कुसुम जैन
विषय:
वर्षा (4)
काव्यालय को प्राप्त: 26 Sep 2021. काव्यालय पर प्रकाशित: 1 Oct 2021
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पारुल 'पंखुरी'
तीन सौ पैंसठ
सिक्के थे गुल्लक में
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चेतन कश्यप
पेड़ों के झुरमुट से
झाँकता
चाँद पूनम का
बिल्डिंगों की ओट में
चलता है साथ-साथ
भर रास्ते
पहुँचा के घर
..
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