अप्रतिम कविताएँ
अमरत्व (Immortality)

हिन्दी अनुवाद

कब्र पे मेरी बहा ना आँसू
हूँ वहाँ नहीं मैं, सोई ना हूँ।

झोंके हजारों हवाओं की मैं
चमक हीरों-सी हिमकणों की मैं
शरद की गिरती फुहारों में हूँ
फसलों पर पड़ती किरणों में हूँ।

जब उठते हो तुम शांत सवेरे
चहकी चिड़ियों के पाखें घेरे
भरती उनमें उड़ान अबद्ध हूँ
मैं परे रात के दिन अनन्त हूँ।

कब्र पे मेरी बहा ना आँसू
हूँ वहाँ नहीं मैं मरी कहाँ हूँ।


अंग्रेज़ी मूल

    Do not stand
        By my grave, and weep.
    I am not there,
        I do not sleep—
I am the thousand winds that blow
I am the diamond glints in snow
I am the sunlight on ripened grain,
I am the gentle, autumn rain.
As you awake with morning’s hush,
I am the swift, up-flinging rush
Of quiet birds in circling flight,
I am the day transcending night.
    Do not stand
        By my grave, and cry—
    I am not there,
        I did not die.


- क्लेर हार्नर
- अनुवाद : वाणी मुरारका
इस कविता के विषय में और रोचक जानकारी यहाँ उपलब्ध है

काव्यालय पर प्रकाशित: 12 Jul 2024

***
इस महीने :
'ओ माँ बयार'
शान्ति मेहरोत्रा


सूरज को, कच्ची नींद से
जगाओ मत।
दूध-मुँहे बालक-सा
दिन भर झुंझलायेगा
मचलेगा, अलसायेगा
रो कर, चिल्ला कर,
घर सिर पर उठायेगा।
आदत बुरी है यह
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
इस महीने :
'आए दिन अलावों के'
इन्दिरा किसलय


आए दिन
जलते हुए, अलावों के !!

सलोनी सांझ
मखमली अंधेरा
थमा हुआ शोर
हर ओर
जी उठे दृश्य
मनोरम गांवों के !!

..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
इस महीने :
'पिता: वह क्यों नहीं रुके'
ब्रज श्रीवास्तव


मेरे लिए, मेरे पिता
तुम्हारे लिए, तुम्हारे पिता जैसे नहीं हैं,

एकांत की खोह में जब जाता हूँ
बिल्कुल, बिल्कुल करीब हो जाता हूँ
अपने ही
तब भी
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...


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