अप्रतिम कविताएँ
चाँद के साथ-साथ
पेड़ों के झुरमुट से
झाँकता
चाँद पूनम का
बिल्डिंगों की ओट में
चलता है साथ-साथ
भर रास्ते

पहुँचा के घर
सुस्ताता है
टँग जाता है
बाहर खिड़की के
आसमान में

हौले से
खिसक लेता है
बत्तियों के
गुल होने
और
नींद के पसर जाने के बाद

जैसे
किसी बच्चे को
थपकी दे-दे
सुला देना
और
बना कर तकियों की बाड़
हौले से
उठ जाना
करने को
छूटे काम
- चेतन कश्यप
विषय:
चाँद (8)

काव्यालय को प्राप्त: 20 May 2025. काव्यालय पर प्रकाशित: 5 Dec 2025

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..

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रौशनी से नहाए इस शहर में
खुशियों की लड़ियाँ जगमगाती हैं
चीर कर गमों के अँधेरे को
जिंदगी आज फिर से मुस्कराती है।

धमाका फिर गूंजता है
पर बमों और बंदूकों का नहीं
पटाखों के साथ-साथ
गूंजती है किलकारियाँ भी।
सहमे से मुरझाए होठों पर
..

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