अप्रतिम कविताएँ
घुमंतू महाराज
घुमंतू महाराज
श्री श्री १००८, स्वामी सूरजानन्द
यात्रा करते करते ब्रह्मांड की
बारह घर से गुजरते हुए
पधारे हैं अपने मकर भवन में

बड़े चमत्कारी!
भ्रमण का भ्रम देते
और नचाते जगत को
इनका गुस्सा ऐसा
आँखें तरेरी
तो धरणी काँप गई ठिठुरन से!

फिर छोड़ गए ओढ़ने को दुशाले
काले ब्लैक-होल से मुड़ते स्वामी
काले तिल से जुड़ते
तो अरमान हृदय के पतंग बन उड़ते
लंबे लंबे किरण पुंज सा गन्ना चूसते मानव
पर अनाथ बालक मक्के की रोटी हाथ में लिए
दान में मिले कंबल में घुस गए
जैसे अबोध भोले शिशु माँ के आँचल में छुपकर
स्तनपान के लिए लपके।

गरम पिंड की खिचड़ी और लावा का घी
प्लाज़्मा गैस में आयनिक कणों की छौंक
कृपा-प्रसाद मिला हमें घी खिचड़ी में।
- हरिहर झा
प्लाज़्मा -- सूर्य वास्तव में प्लाज़्मा का गोला है। ठोस, द्रव, वाष्प (solid, liquid, gas) के अतिरिक्त प्लाज़्मा (plasma) पदार्थ की चौथी अवस्था है।
आयनिक -- Ionic, charged. जब अणुओं में इलेक्ट्रॉन का आधिक्य या कमी होती है।
विषय:
प्रकृति (40)
सूरज धूप (8)

काव्यालय को प्राप्त: 6 Jan 2024. काव्यालय पर प्रकाशित: 19 Jan 2024

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 घुमंतू महाराज
 प्यार गंगा की धार
इस महीने :
'स्वतंत्रता का दीपक'
गोपालसिंह नेपाली


घोर अंधकार हो, चल रही बयार हो,
आज द्वार द्वार पर यह दिया बुझे नहीं।
यह निशीथ का दिया ला रहा विहान है।

शक्ति का दिया हुआ, शक्ति को दिया हुआ,
भक्ति से दिया हुआ, यह स्वतंत्रता-दिया,
रुक रही न नाव हो, ज़ोर का बहाव हो,
आज गंगधार पर यह दिया बुझे नहीं!
यह स्वदेश का दिया प्राण के समान है!
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इस महीने :
'युद्ध की विभीषिका'
गजेन्द्र सिंह


युद्ध अगर अनिवार्य है सोचो समरांगण का क्या होगा?
ऐसे ही चलता रहा समर तो नई फसल का क्या होगा?

हर ओर धुएँ के बादल हैं, हर ओर आग ये फैली है।
बचपन की आँखें भयाक्रान्त, खण्डहर घर, धरती मैली है।
छाया नभ में काला पतझड़, खो गया कहाँ नीला मंजर?
झरनों का गाना था कल तक, पर आज मौत की रैली है।

किलकारी भरते ..

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इस महीने :
'नव ऊर्जा राग'
भावना सक्सैना


ना अब तलवारें, ना ढाल की बात है,
युद्ध स्मार्ट है, तकनीक की सौगात है।
ड्रोन गगन में, सिग्नल ज़मीन पर,
साइबर कमांड है अब सबसे ऊपर।

सुनो जवानों! ये डिजिटल रण है,
मस्तिष्क और मशीन का यह संगम है।
कोड हथियार है और डेटा ... ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
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