गीत-कवि की व्यथा: एक
ओ लेखनी! विश्राम कर
अब और यात्रायें नहीं।
मंगल कलश पर
काव्य के अब शब्द
के स्वस्तिक न रच।
अक्षम समीक्षायें
परख सकतीं न
कवि का झूठ-सच।
लिख मत गुलाबी पंक्तियाँ
गिन छन्द, मात्रायें नहीं।
बन्दी अंधेरे
कक्ष में अनुभूति की
शिल्पा छुअन।
वादों-विवादों में
घिरा साहित्य का
शिक्षा सदन।
अनगिन प्रवक्ता हैं यहाँ
बस, छात्र-छात्रायें नहीं।
-
किशन सरोज
Poet's Address: 32, Azadpuram, near Hartman College, Bareili
- 243122
Ref: Naye Purane, April,1998
Hospital Colony Mohangunj, Tiloi
Raibareili (U.P.) - 229 309
इस महीने :
'तोंद'
प्रदीप शुक्ला
कहते हैं सब लोग तोंद एक रोग बड़ा है
तोंद घटाएँ सभी चलन यह खूब चला है।
पर मानो यदि बात तोंद क्यों करनी कम है
सुख शान्ति सम्मान दायिनी तोंद में दम है।
औरों की क्या कहूं, मैं अपनी बात बताता
बचपन से ही रहा तोंद से सुखमय नाता।
जिससे भी की बात, अदब आँखों में पाया
नाम न लें गुरु, यार, मैं पंडित 'जी' कहलाया।
आज भी ऑफिस तक में तोंद से मान है मिलता
कितना भी हो बॉस शीर्ष, शुक्ला 'जी' कहता।
मान का यह
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