Toggle navigation
English Interface
संग्रह से कोई भी रचना
काव्य विभाग
शिलाधार
युगवाणी
नव-कुसुम
काव्य-सेतु
मुक्तक
प्रतिध्वनि
काव्य लेख
सहयोग दें
अप्रतिम कविताएँ
प्राप्त करें
✉
अप्रतिम कविताएँ
प्राप्त करें
✉
चाय 4
वैसे तो
मना कर रखा है
दिल की बात को
होठों पर आने को
फिर भी
रख देती हूँ एक प्लेट
कप के नीचे
किसी कंपन से छलकी चाय को
छुपाने को !
-
नूपुर अशोक
काव्यालय को प्राप्त: 22 Aug 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 7 Aug 2023
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सौन्दर्य और सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।
₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
नूपुर अशोक
की काव्यालय पर अन्य रचनाएँ
गेंद और सूरज
चाय 1
चाय 2
चाय 3
चाय 4
चाय 5
चाय 6
चाय 7
इस महीने :
'अमरत्व'
क्लेर हार्नर
कब्र पे मेरी बहा ना आँसू
हूँ वहाँ नहीं मैं, सोई ना हूँ।
झोंके हजारों हवाओं की मैं
चमक हीरों-सी हिमकणों की मैं
शरद की गिरती फुहारों में हूँ
फसलों पर पड़ती...
..
पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना
| काव्य विभाग:
शिलाधार
युगवाणी
नव-कुसुम
काव्य-सेतु
|
प्रतिध्वनि
|
काव्य लेख
सम्पर्क करें
|
हमारा परिचय
सहयोग दें