अप्रतिम कविताएँ

तुम्हारा होना
ये रंग
जो तुम्हारी हंसी से
बिखरे पड़े हैं धरा पर
तुम्हारे प्रेम की ऊष्मा पाकर ही
वाष्पित हुए
और इंद्रधनुष हो गया सतरंगी

तुम्हारी खुशियों से ही
तय किये गए
धरती और आकाश की सम्पूर्णता के समीकरण,
अलसुबह
तुम्हारे चेहरे के नूर से ही
खिलते रहे फूल

जब नहीं रहोगी तुम
बेरंग हो जायेगी दुनियाँ
ख़त्म हो जायेंगी पृथ्वी पर
जीवन की सारी संभावनाएं |
- भानु प्रकाश रघुवंशी
वाष्पित= भाप बन जाना; समीकरण= equation इकवेशन

काव्यालय को प्राप्त: 31 Jan 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 11 Feb 2022

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'अमरत्व'
क्लेर हार्नर


कब्र पे मेरी बहा ना आँसू
हूँ वहाँ नहीं मैं, सोई ना हूँ।

झोंके हजारों हवाओं की मैं
चमक हीरों-सी हिमकणों की मैं
शरद की गिरती फुहारों में हूँ
फसलों पर पड़ती...
..

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