अप्रतिम कविताएँ
पावस गीत
पुल बारिश का!
बिना ओढ़नी हवा घूमती
सबने देखा
पुल बारिश का!

मेघों से धरती तक
धानखेती सीढ़ियाँ,
मिट्टी में उग रहीं
नई हरी पीढ़ियाँ,
            उड़ती हुई नदी पर
            बनती मिटती नौका,
            पुल बारिश का!

बूँदों के तीर सहते
पत्तों के नर्म सीने,
पानी के फूल बिखरे
जंगल में कौन बीने,
            दिखते छुपते वृक्ष हैं
            सचमुच या धोखा?
            पुल बारिश का!

छत, मकान,गली,शहर,
सड़कों पर चलते,
चित्र में जड़े लोग
धुएं-से पिघलते,
            बरस रहा जादू ये
            किसका है किसका?
            पुल बारिश का!
- प्रभात कुमार त्यागी
पुल बारिश का : इन्द्रधनुष; धान खेती सीढियां : पहाड़ों पर खेती की सीढ़ियां

काव्यालय को प्राप्त: 26 Aug 2023. काव्यालय पर प्रकाशित: 8 Sep 2023

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इस महीने :
'कमरे में धूप'
कुंवर नारायण


हवा और दरवाज़ों में बहस होती रही,
दीवारें सुनती रहीं।
धूप चुपचाप एक कुरसी पर बैठी
किरणों के ऊन का स्वेटर बुनती रही।

सहसा किसी बात पर बिगड़ कर
हवा ने दरवाज़े को तड़ से
एक थप्पड़ जड़ दिया !

खिड़कियाँ गरज उठीं,
अख़बार उठ कर
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'खिड़की और किरण'
नूपुर अशोक


हर रोज़ की तरह
रोशनी की किरण
आज भी भागती हुई आई
उस कमरे में फुदकने के लिए
मेज़ के टुकड़े करने के लिए
पलंग पर सो रहने के लिए

भागती हुई उस किरण ने
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'किरण'
सियाराम शरण गुप्त


ज्ञात नहीं जानें किस द्वार से
कौन से प्रकार से,
मेरे गृहकक्ष में,
दुस्तर-तिमिरदुर्ग-दुर्गम-विपक्ष में-
उज्ज्वल प्रभामयी
एकाएक कोमल किरण एक आ गयी।
बीच से अँधेरे के
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'रोशनी'
मधुप मोहता


रात, हर रात बहुत देर गए,
तेरी खिड़की से, रोशनी छनकर,
मेरे कमरे के दरो-दीवारों पर,
जैसे दस्तक सी दिया करती है।

मैं खोल देता हूँ ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
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