उत्तरप्रदेश के, जनपद बिजनौर के एक छोटे से गाँव हिसामपुर में, कृषक परिवार में जन्मी डॉ पारुल तोमर हिन्दी साहित्य में पी एच डी की उपाधि से विभूषित हैं। वे एक स्वतंत्र लेखिका एवम् स्व-प्रशिक्षित चित्रकार हैं। इनके शब्दों और रंगों में भारतीय संस्कृति की खुशबू रची-बसी होती है। इनकी कलम एवम् कूची दोनों ही सकारात्मकता की पक्षधर है। इनकी कविताएँ, आलेख, व्यंग्यालेख संस्मरण एवम् पुस्तकों की समीक्षाएँ आदि लेखन राष्ट्रीय स्तर के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं । ये अपनी कलात्मकता से अपनी संस्कृति को देश के कई हिस्सों में प्रदर्शित कर चुकी है। उनका एकल कविता संग्रह
'संझा-बाती' एक चर्चित संग्रह रहा है।