अप्रतिम कविताएँ
इस नश्वर संसार में
सिर्फ़ दुख नहीं जाता
सुख भी चला जाता है
यहाँ रहने कौन आया है

सिर्फ़ घृणा नहीं हारती
प्रेम भी हार जाता है

संसार में सबसे दुखभरी होती है प्रेम की हार
तब प्रेम सिर्फ़ कविताओं और कहानियों में
बचा रह जाता है

यही बचा हुआ प्रेम
हमारी आँखों में नमी बनाये रखता है

सिर्फ़ रोशनी नहीं आती
अंधेरा भी आता है अपनी पूरी सुंदरता के साथ
अंधेरे और रोशनी में एक ही श्वास धड़कती है
ये नहीं रह सकते एक-दूसरे के बिना

कोई भला कैसे अलग कर सकता है
रात को दिन और सुबह को शाम से
ये संसार के सबसे पुराने प्रेमी हैं

सिर्फ़ ज्ञान नहीं जीतता
अज्ञान भी जीत जाता है
अज्ञान की जीत मनुष्यता की हार है

ज्ञानी दे या न दे, कुछ छीनता नहीं
अज्ञानी से मिलता कुछ भी नहीं
सब कुछ छिन जाता है

इस नश्वर संसार में
जहाँ कुछ भी बचाना मुश्किल है
अगर बचा लें हम थोड़ा सा सुख
बटोर लें थोड़ा सा प्रेम
नहा लें थोड़ी सी रोशनी में
ज्ञान हमें भिंगो दे, थोड़ा ही सही
तो बहुत कुछ खोकर भी
सब कुछ बच जाता है
- कुंदन सिद्धार्थ

काव्यालय को प्राप्त: 14 Oct 2022. काव्यालय पर प्रकाशित: 28 Oct 2022

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सौन्दर्य और सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
इस महीने :
'कमरे में धूप'
कुंवर नारायण


हवा और दरवाज़ों में बहस होती रही,
दीवारें सुनती रहीं।
धूप चुपचाप एक कुरसी पर बैठी
किरणों के ऊन का स्वेटर बुनती रही।

सहसा किसी बात पर बिगड़ कर
हवा ने दरवाज़े को तड़ से
एक थप्पड़ जड़ दिया !

खिड़कियाँ गरज उठीं,
अख़बार उठ कर
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'खिड़की और किरण'
नूपुर अशोक


हर रोज़ की तरह
रोशनी की किरण
आज भी भागती हुई आई
उस कमरे में फुदकने के लिए
मेज़ के टुकड़े करने के लिए
पलंग पर सो रहने के लिए

भागती हुई उस किरण ने
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'किरण'
सियाराम शरण गुप्त


ज्ञात नहीं जानें किस द्वार से
कौन से प्रकार से,
मेरे गृहकक्ष में,
दुस्तर-तिमिरदुर्ग-दुर्गम-विपक्ष में-
उज्ज्वल प्रभामयी
एकाएक कोमल किरण एक आ गयी।
बीच से अँधेरे के
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'रोशनी'
मधुप मोहता


रात, हर रात बहुत देर गए,
तेरी खिड़की से, रोशनी छनकर,
मेरे कमरे के दरो-दीवारों पर,
जैसे दस्तक सी दिया करती है।

मैं खोल देता हूँ ..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website