वह बहुत उदास-सी शाम थी
जब मैं उस स्त्री से मिला
मैंने कहा - मैं तुमसे प्रेम करता हूँ
फिर सोचा - यह कहना कितना नाकाफ़ी है
वह स्त्री एक वृक्ष में बदल गई
फिर पहाड़ में
फिर नदी में
धरती तो वह पहले से थी ही
मैं उस स्त्री का बदलना देखता रहा !
एक साथ इतनी चीज़ों से
प्रेम कर पाना कितना कठिन है
कितना कठिन है
एक कवि का जीवन जीना
वह प्रेम करना चाहता है
एक साथ कई चीज़ों से
और चीज़ें हैं कि बदल जाती हैं
प्रत्येक क्षण में !
काव्यालय को प्राप्त: 2 Aug 2021.
काव्यालय पर प्रकाशित: 17 Sep 2021