अप्रतिम कविताएँ
समय बना है यादों से
आज हुआ मन को विश्वास
समय बना है यादों से
यादें बनती भूल भूल कर
तुम क्या इस को स्वीकारोगे?
व्यथित हुआ करता है जब मन
कुंठित होती है जब पीड़ा
तब क्या याद न कुछ आता है?
वह क्षण जो केवल अपना था
आज बन गया जो इतिहास।

आज हुआ मन कोआभास
स्मृति विस्मृति साथ चली हैं
मैं इनके छोटे से कण ले
कभी कहीं गुम हो जाऊंगी
मृदुल मधुर दे करअहसास
निस्पृह सा दे कर अहसास।
- सुमन शुक्ला
विषय:
जीवन (37)
बीता समय (17)
समय (6)

काव्यालय को प्राप्त: 25 Mar 2020. काव्यालय पर प्रकाशित: 29 May 2020

***
सहयोग दें
विज्ञापनों के विकर्षण से मुक्त, काव्य के सुकून का शान्तिदायक घर... काव्यालय ऐसा बना रहे, इसके लिए सहयोग दे।

₹ 500
₹ 250
अन्य राशि
इस महीने :
'सबसे ताक़तवर'
आशीष क़ुरैशी ‘माहिद’


जब आप कुछ नहीं कर सकते
तो कर सकते हैं वो
जो सबसे ताक़तवर है

तूफ़ान का धागा
दरिया का तिनका
दूर पहाड़ पर जलता दिया

..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें...
इस महीने :
'हादसे के बाद की दीपावली'
गीता दूबे


रौशनी से नहाए इस शहर में
खुशियों की लड़ियाँ जगमगाती हैं
चीर कर गमों के अँधेरे को
जिंदगी आज फिर से मुस्कराती है।

धमाका फिर गूंजता है
पर बमों और बंदूकों का नहीं
पटाखों के साथ-साथ
गूंजती है किलकारियाँ भी।
सहमे से मुरझाए होठों पर
..

पूरी प्रस्तुति यहाँ पढें और सुनें...
संग्रह से कोई भी रचना | काव्य विभाग: शिलाधार युगवाणी नव-कुसुम काव्य-सेतु | प्रतिध्वनि | काव्य लेख
सम्पर्क करें | हमारा परिचय
सहयोग दें

a  MANASKRITI  website