अप्रतिम कविताएँ प्राप्त करें
गिरिजा कुमार माथुर
कवि, नाटककार और समालोचक गिरिजा कुमार माथुर (२२ अगस्त १९१९ - १० जनवरी १९९४) ने अपने लेखन की शुरुआत १९३४ में ब्रजभाषा से की थी। फिर इन्होंने हिन्दी में लिखना शुरू किया और इनके कई संग्रह चर्चित हुए, जैसे- 'नाश और निर्माण', 'मंजीर', 'धूप के धान', 'शिलापंख चमकीले', 'जो बंध नहीं सका', 'साक्षी रहे वर्तमान', 'भीतर नदी की यात्रा', 'मैं वक्त के हूँ सामने', 'छाया मत छूना मन' इत्यादि। अज्ञेय द्वारा संपादित 'तारसप्तक' के कवियों में से ये एक थे । इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार, व्यास सम्मान और शलाका सम्मान से अलंकृत किया गया । (जानकारी साभार कविता कोश http://kavitakosh.org)


a  MANASKRITI  website