भौतिक विज्ञान के शोध कर्ता और काव्यालय के सम्पादक डॉ. विनोद तिवारी, कविता में विज्ञान और विज्ञान में कविता देखते हैं। बचपन से ही उन्होंने अपने अन्तर्मन को काव्य के माध्यम से अभिव्यक्त किया।

80 वर्ष की जीवन यात्रा के सभी सत्य और स्वप्न, यह पुस्तक उनकी अबतक की लगभग सभी कविताओं का संकलन है। प्रेम, पीड़ा, ज़िन्दगी पर आस्था, देश प्रेम, समाज के प्रति जागरूकता, हास्य और वन्दना -- इन सभी रंगों में उन्होंने स्वयं को अनुपम और अत्यन्त मौलिक रूप से अभिव्यक्त किया है। साथ ही, इन रंगों को साकार कर रही है वाणी मुरारका की चित्रकारी।

कविताएँ और ग़ज़ल तीन भागों में संयोजित है: "एक एहसास है उम्र भर के लिए", "कुछ भरोसा तो है उजालों पर (ग़ज़लें)", और "मेरे मधुवन जीयो जुग जुग"।

डॉ. तिवारी की कविताओं में वह कोमलता और संयोजन है जो चिरन्तन, पुरातन का सौरभ लिए है, और वह जागरूकता है जो हमें नित नूतन हो, ज़िन्दगी के प्रति अटूट आस्था लिए, सदा आगे बढ़ने को प्रेरित करती हैं।